शादी मे बाधक योग ( Problems in Marital Life )

शादी_मे_बाधक_योग ( Problems in Marital Life )

वैवाहिक समस्या पर एक पोस्ट मे जितना उचित है उतना लिख सकते हैं पर ज्योतिष का हर योग लिख देना असम्भव है ।

विवाह_बाधक_योगो_पर_शुभ_प्रभाव – विवाह बाधक योग के होने पर भी यदि शादी के 7 भाव पर 2,4,5,9,11 के स्वामियों का अच्छा प्रभाव हो,गुरु की दृष्टि आदि हो तो शादी की समस्याओं मे कमी आ जाती है
For example – 5 का स्वामी 7 मे हो यह एक शुभ राजयोग है ।

Matchmaking – Acharya Dr MSD Arya

जन्म कुंडली में विवाहयोग के लिये ये चीजें देखना जरूरी है –

सप्तम भाव की स्थिति ।

सप्तम भाव के स्वामी की स्थिति

सप्तम भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह

सप्तम भाव मे बैठे ग्रहों की स्थिति, उनका भावाधिकार

महिला और पुरुषों के दोनो के लिये शुक्र और बृहस्पति की स्थिति ।

Married Life Report

यदि इन चीजों मे कोई समस्या होती है तो विवाह बाधा, विवाह मे देरी, विवाह टूटना, कष्ट बन सकता है ।

उदाहरण के लिये निम्नांकित विवाह बाधक योगों को समझें –

सप्तमेश_छठवें_का सम्बंध – सप्तम मे 6 का स्वामी हो या 7 का स्वामी 6th मे चला जाये तो जीवनसाथी स्वयं का नुकसान करेगा,आपको चिंता देगा या फिर आपके विवाह की ही हानि हो जायेगी, या विवाह होने मे कई समस्या, दूरी, शादी मे देर होना होगा।

सप्तमेश_अष्टम_बारह से सम्बंध – for Example – सप्तमेश यदि 8 मे बैठा हो और 12 का स्वामी 7 मे आ गया हो तो ये योग साथी के साथ दूरी, अकेलापन, शारीरिक हानि को दर्शाता है ।

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सप्तमेश_नीच_राशि – मे हो , नीच भंग नहो,शुभ परिवर्तन योग न हो, बृहस्पति आदि शुभ ग्रहों की दृष्टि न मिल रही हो तो वैवाहिक सुख मे आनंद की कमी हो जाती है ।

शुक्र_कन्या राशि मे – ये एक बाधक योग है यदि शुक्र का नीचभंग न हो रहा हो तो ।

मंगली_योग – भी देखना जरुरी है यदि मंगल की दृष्टि सप्तम पर है या मंगल 7th मे है और इसके साथ ही मंगल_की_राशि_7_मे_नही_है तो उग्रता बढ जाने से सुख मे दिक्कत करता है ।
यदि सप्तम मे मेष या वृश्चिक राशि हो तो मंगल ऐसी समस्या देकर विवाह को कभी नही तोड़ेगा बल्कि मंगल_ही_विवाह_करायेगा

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शुक्र_अस्त – नही होना चाहिये ,अस्त गुरु परिवार के लिये अच्छा नही माना जाता ,
वर – वधू की कुंडली मे उनके सप्तम भाव का स्वामी भी अस्त नही होना चाहिये ।

शनि_का_प्रभाव – शनि शादी को स्थिरता और सावधानी देता है , शादी तोड़ता नही है पर यह  देरी का कारक है !
जिनकी कुंडली मे शनि का प्रभाव, स्थिति, दृष्टि , योग सप्तम भाव, सप्तमेश, या शुक्र ग्रह पर हो उनके विवाह मे देरी होती है ।
30,32,35 जैसी उम्र मे शादी होती देखी गयी है।

Prashna Kundli by Acharya Arya

पाप_ग्रहों_का_प्रभाव – 7th पर राहू,केतू,सूर्य,मंगल,शनि ये 5 ग्रह विवाह मे कठोरता का व्यवहार देते हैं जिससे संबंध खराब होते है इसलिये इनकी शांति करवानी चाहिये ।

इन योगो लग्न के अलावा नवांश कुंडली से भी देखें।

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