Diwali Laxmi Pujan Samagri: ये है दिवाली की पूजन सामग्री लिस्ट, पहले ही कर लें तैयारी और जान लें गणेश-लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

Diwali Puja 2020 - Acharya arya

दीपों का त्योहार दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी और श्री गणेश पूजन से शांति, तरक्की और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। दिवाली पर हर व्यक्ति माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा करना चाहता है। इनकी पूजा में कोई कमी न रह जाए इसके लिए पहले से दीपावली पूजन सामग्री का इंतजाम कर लें। देखें यहां सामग्री लिस्ट-

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दिवाली पूजा की सामग्री (Diwali Pujan Samagri)-

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद।

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दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (Diwali Laxmi Pujan Subh Muhurat)-

 इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है।

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दिवाली पर क्यों की जाती है लक्ष्मी जी की पूजा? एक साहूकार की बेटी से जुड़ी है पौराणिक कथा, पढ़ें यहां

पढ़ें दिवाली की पौराणिक कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में साहूकार रहता था। उसकी बेटी हर दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने के लिए जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था। एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से कहा कि वह उसकी मित्र बनना चाहती हैं। लड़की ने जवाब में कहा कि वह अपने पिता से पूछकर बताएगी। घर आकर साहूकार की बेटी ने पूरी बात बताई। बेटी की बात सुनकर साहूकार ने हां कर दी। दूसरे दिन साहूकार की बेटी ने लक्ष्मीजी को सहेली बना लिया।

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दोनों अच्छी सखियों की तरह एक-दूसरे से बातें करतीं। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले आईं। लक्ष्मी जी ने अपने घर में साहूकार की बेटी का खूब आदर किया और पकवान परोसे। जब साहूकार की बेटी अपने घर लौटने लगी तो लक्ष्मीजी ने उससे पूछा कि वह उन्हें कब अपने घर बुलाएगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला लिया, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह स्वागत करने में घबरा रही थी कि क्या वह अच्छे तरह से स्वागत कर पाएगी।

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साहूकार अपनी बेटी की मनोदशा को समझ गया। उसने बेटी को समझाते हुए कहा कि वह परेशान न हो और फौरन घर की साफ-सफाई कर चौका मिट्टी से लगा दे। चार बत्ती वाला दीया लक्ष्मी जी के नाम से जलाने के लिए भी साहूकार ने अपनी बेटी से कहा। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर साहूकार के घर आ गया। साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी ही देर में मां लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ साहूकार के घर आईं और साहूकार के स्वागत से प्रसन्न होकर उसपर अपनी कृपा बरसाई। लक्ष्मी जी की कृपा से साहूकार के पास किसी चीज की फिर कभी कमी न हुई।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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