गुरु चांडाल योग

गुरु चांडाल योग

ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं कुयोगों में से एक है गुरु-चांडाल योग। यहां हमें सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि गुरु चांडाल योग क्या होता है। राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं और अशुभ भी। यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हों उस भाव सबंधी अनिष्ठ फल दर्शाते हैं। राहु और गुरु जब साथ होते हैं या फिर एक-दूसरे को किन्हीं भी भावों में बैठ कर देखते हों, तो चाण्डाल योग का निर्माण होता है। यह योग किसी भी इंसान के लिये अच्छा नहीं होता है। उस व्यक्ति को जीवन भर परेशानियों का सामना करना होता है।

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कथनी और करनी में अंतर
जिस जातक के जन्मांग में यह योग होता है उसकी कथनी और करनी में अंतर होता है तथा वह निराशावादी और आत्मघाती स्वभाव वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति गुरुजनों का भी अपमान करता है खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए गुरु का अपमान भी करने से पीछे नहीं हटता। ऐसा जातक धर्म और शास्त्रों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए करता है।

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ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईष्र्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं कामुक प्रवत्ति का होता है, गुरु चांडाल योग धारण करने वाले जातक और कोई न कोई शारीरिक मानसिक विकृति होती है।अत: उस व्यक्ति के साथ रहने वाला इंसान भी उससे परेशान रहता है।
गुरु ज्ञान का ग्रह, बुद्धि का दाता


वास्तव में गुरु ज्ञान का ग्रह है, बुद्धि का दाता है। जब यह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। बुद्धि को क्षीण बना देता है। राहु छाया ग्रह है जो भ्रम, संदेह, शक, चालबाजी का कारक है। नीच का गुरु अपनी शुभता को खो देता है। उस पर राहु की युति इसे और भी निर्बल बनाती है। राहु मकर राशि में मित्र का ही माना जाता है (शनिवत राहु) अत: यह बुद्धि भ्रष्ट करता है। निरंतर भ्रम-संदेह की स्थिति बनाए रखता है तथा गलत निर्णयों की ओर अग्रसर करता है।

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गुरु चांडाल दोष को दूर करने के उपाय
अगर चाण्डाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में हमें राहु के उपाय करके उसको ही शांत करना पड़ेगा ताकि गुरु हमें अच्छे प्रभाव दे सके। राहु की शांति के लिए मंत्र-जाप पूरे होने के बाद हवन करवाना चाहिए। तत्पश्चात दान इत्यादि करने का विधान बताया गया है। अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो गुरु और राहु दोनों के उपाय करने चाहिए।
(1) हनुमत आराधना
राहु हनुमत आराधना से डरता है इसलिये हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
गाय को हरी घास
गाय को हरी घास खिलाएं व गरीबों को दान दें।
(2) शिव एवम् गणेश पूजन
गणेशजी और शिव जी की उपासना और मंत्र जाप करें।
(3) बरगद की जड़ में कच्चा दूध
बरगद के पेड की जड में कच्चा दूध डालें।
शिव की आराधना

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(4) भगवान शिव की आराधना नियमित रूप से करें। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
गुरु और राहु दोनों के उपाय
अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो हमें गुरु और राहु दोनों के उपाय करने होंगे। गुरु-राहु से संबंधित मंत्र-जाप, पूजा, हवन तथा दोनों से सम्बंधित वस्तुओं का दान करना होगा।
केले का पूजन

गुरु की मजबूती के लिए केले का पूजन करें लाभ होगा। केला पूजन से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं तथा राहु को भय होता है।

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